मांगना ही छोड़ दिया हमने वक्त से
क्या पता उसके पास इंकार का भी वक्त ना हो।
गर शौक चढ़ा है इश्क़ का तो इम्तिहान देना तुम,
बारिश में भी मेरे अश्क़ों को पहचान लेना तुम।
मांगना ही छोड़ दिया हमने वक्त से
क्या पता उसके पास इंकार का भी वक्त ना हो।
गर शौक चढ़ा है इश्क़ का तो इम्तिहान देना तुम,
बारिश में भी मेरे अश्क़ों को पहचान लेना तुम।